Tuesday, September 9, 2014

Nalanda University Truth | History and Facts

पुनर्निमित नालंदा विश्वविद्यालय ने 1 सितंबर 2014 से अपना पहला सत्र प्रारंभ किया -

पुनर्निमित नालंदा विश्वविद्यालय ने पटना से लगभग 100 किलोमीटर दूर बौद्ध तीर्थयात्री शहर राजगीर के अपने अस्थायी परिसर में 15 छात्रों के साथ 1 सितंबर 2014 से अपना पहला सत्र शुरू किया.विश्वविद्य
ालय ने पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन के स्कूल और ऐतिहासिक अध्ययन के स्कूल की कक्षाओं के साथ अपना पहला सत्र 2014-15 शुरू कर दिया. वर्तमान में, विश्वविद्यालय में 10 शिक्षक हैं. विश्वविद्यालय ने छात्रों के लिए तीन दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम के बाद अपने पहले सत्र को शुरू किया.

विश्वविद्यालय में काम का औपचारिक उद्घाटन मध्य सितंबर में होगा, जबकि पूरी तरह से आवासीय विश्वविद्यालय वर्ष 2020 तक पूरा हो जाएगा. उसके बाद यहाँ स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्रों के लिए सात स्कूल होंगे जिनमे विज्ञान, दर्शनशास्त्र और आध्यात्मिकता और सामाजिक विज्ञान सम्बंधित विषयों के पाठ्यक्रम चलेंगे. यह विश्वविद्यालय राजगीर में बनेगा जो कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के स्थान से 12 किमी दूर है. प्राचीन विश्वविद्यालय 12वीं सदी तक खड़ा था जिसके बाद हमलावर तुर्की सेना ने उसे ढहा दिया था .

विश्वविद्यालय के शासी निकाय के सदस्यों में विभिन्न देशों के कई प्रसिद्ध अध्यापक है जिनमे सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज यीओ और विदेश मंत्रालय के सचिव अनिल वाधवा भी शामिल हैं. विश्वविद्यालय में दुनिया के 40 देशों से 1000 आवेदन आए लेकिन केवल 15 छात्रों (जिनमें 5 महिलाएं हैं) का चयन किया गया. चयनित छात्रों में जापान और भूटान से एक-एक छात्र हैं और शेष भारत से हैं. विश्वविद्यालय में चयन प्रक्रिया अभी भी चल रही है अतः कुछ और छात्रों को सितंबर 2014 में प्रवेश दिया जाएगा.

विश्वविद्यालय को प्रवेश की प्रक्रिया में अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, स्पेन, जर्मनी, जापान, म्यांमार, ऑस्ट्रिया और श्रीलंका, अन्य देशों के अलावा पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से भी आवेदन प्राप्त हुए.

नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार-
नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के प्रस्ताव के बाद किया गया. उन्होंने वर्ष 2006 में विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार का प्रस्ताव रखा. संसद द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम वर्ष 2010 में पारित कर दिया गया और 15 नवंबर 2010 को इसकी अधिसूचना के बाद विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया. केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के लिए 2700 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, जो कि 10 वर्षों में खर्च किया जाना है.

इसके अलावा, विश्वविद्यालय भारत सरकार और 18 पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के देशों की एक पहल है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ब्रुनेई यात्रा के दौरान अक्टूबर 2013 में सात ईएएस देशों ने परियोजना के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए एक समझौता किया. ईएएस के सात देश ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, सिंगापुर, ब्रुनेई, न्यूजीलैंड, लाओस और म्यांमार थे.

इसके अलावा नवंबर 2013 में चीन ने भी परियोजना के लिए 1 मिलियन डॉलर प्रदान करने की प्रतिबद्धता की. यह प्रतिबद्धता मनमोहन सिंह की बीजिंग यात्रा के दौरान चीन द्वारा की गयी . सिंगापुर ने भी 5-6 मिलियन डॉलर दान करने का वचन दिया और ऑस्ट्रेलिया ने भी विश्वविद्यालय के लिए 1 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर प्रदान करने की योजना बनाई है.

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय-
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय गुप्त राजवंश शासन के दौरान पांचवीं शताब्दी में स्थापित किया गया था. यह बिहार में सीखने के लिए एक प्राचीन अंतरराष्ट्रीय केंद्र था जिसमें 5वीं शताब्दी से वर्ष 1197 के दौरान दुनिया भर और मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और चीन से छात्रों को शिक्षा के लिए आकर्षित किया. प्राचीन समय में, नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया भर से हजारों विद्वान और विचारक आए.

यह कुतबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलजी के हमलावर तुर्की सेना के द्वारा वर्ष 1197 में ढहा दिया गया. ऐसा माना जाता है कि इसके विशाल पुस्तकालय की में लगी आग की ज्वाला कई दिनों तक जलती रही थी.

नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति - गोपा सभरवाल
विश्वविद्यालय के शासी निकाय के अध्यक्ष - अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन

 

ANOTHER SIDE

 
आप चाहते तो नालंदा के 1199 में तबाह होने और 1857 में अंग्रेजो द्वारा विश्व विद्यालय स्थापित किये जाने के मध्य के 658 साल की अवधि में आप एक नही ढेरो शिक्षक और ढेरो विश्व विद्यालय गढ़ सकते थे, भारत को शिक्षा का सिरमौर बना सकते थे।लेकिन नही किया। उलटे 658 साल बाद जब अंग्रेजो ने लोगो को उच्च शिक्षा देने के लिए 1857 में कोलकाता में विश्व विद्यालय स्थापना किया तो लोगो का ध्यान भटकाने के लिए गाय के चमड़े का बहाना कर मंगल पांडे से विद्रोह करवा दिया जबकि गाय के चमड़े का उपयोग पहले से हो रहा था।

इस 658 साल की अवधि में आप तमाम शासको के प्रशासन को नियंत्रित करते रहे, आपने फिरोज शाह तुगलक के लगाये जाजिया कर को अकबर से हटवा लिया लेकिन एक विश्व विद्यालय तक नही बनवा पाए। जिन महापुरुषों ने हम तक शिक्षा पहुंचानी चाही उसके साथ आपने क्या क्या नही किया।ज्योतिबा फुले जिसने भारत के इतिहास में लडकियों के लिए पहला स्कुल खोला उसे समाज से ही बहिष्कृत करवा दिया, उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री फुले को शिक्षित कर शिक्षक बनाया तो आपने उसके विद्यालय जाते समय विष्ठा फेंका।

क्यों सर झुकाए,क्यों माने आपके गढ़े प्रतिमान को ? किया क्या है आपने हमारे लिए ?आपने तो कभी किसी के लिए स्कुल में अलग घड़ा रखा, अलग बैठाया, किसी का अंगूठा काटा, लोगो से भेदभाव किया और हमारे नायको ने सिर्फ हमारे लिए नही सबके लिए किया। हम कुछ नही करेंगे हमारे लिए जिन्होंने अपना जीवन दिया है उनके बलिदान और योगदान को बतायेंगे आपके गढ़े प्रतिमान अपने आप ध्वस्त होंगे।

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